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सरकार का असली चेहरा।

तो ये करती है सरकार देश मे जान लीजिए।< /h2>
मोदी सरकार बात करती थी CAA की दूसरे देश के आदमी को भारत मे शरण देगी ,उनको रोजगार देगी, उन पर हो रही अत्याचार से उनको बचाएगी। सरकार अपना और पूरे देश के कई लोगो का समय इसी मुद्दे पर पिछले 1 साल से बर्बाद कर रही थी।

यहां सरकार को अपने ही देश के लोग तो संभल नही रहा है  और दूसरे देश के आदमियों का भी ठीका लेना चाह रही थी।खाओ उतना ही जितना पचा सको।

भारत की आर्थिक स्तिथि तो ऐसा बना कर रख दिया है कि लोकडौन के कुछ दिन के बाद ही देश की गुजारा के लिए शराब की भट्टि खोलना परा। और साल भर दूसरे देश के लोग को सरन देने की बात करते थे।

जितना पैसा आज भी सरकार स्कूल के बचो को खाना खिलाने में बर्बाद कर रही है उतना में तो हमारे भारत देश का हेल्थ केअर और एजुकेशन ब्यवस्था बेहतर हो जाता है।

सरकारी स्कूल में खाना के नाम पे दलाली ,बैमानी होता है सारा पैसा और समान हेड मास्टर और उसका सहकर्मी मार लेता है । अगर विश्वास नही हो तो एक दो स्कूलों को जा कर देख सकते है अपने इलाके में।

ऐसा क्यो हो रही पूछने पर सरकार बोलेगी और कुछ समझदार आदमी भी की अब हमारे देश के लोग ही ऐसे है तो क्या कर सकते है।

बात तो सही है सरकार क्या करेगी पैसे सरकार के बाप का थोड़ी न है ,है तो आम जनता का, तो वो क्या करेगा।
बिना मतलब में goverment school के शिक्षकों का, चपरासी का salary Rs85000- 100000 है ये इतना सारा पैसे किस लिए पूछता है भारत बताओ।


सरकार पैसो का गलत इस्तेमाल कर रही है आंख खोलो मेरे प्यारे देशवासियो कब तक अंध भक्त बने रहोगे।

मुझे आचार्य लगता है कि  क्या सिस्टम है हमारे देश का।
खुले आम दलाली होता है।सरकार का कोई भी scheme हो बिना दलाली का पैसा आम आदमी तक नही पहुँचता है। 

ये दलाल करने बाले लोग भी हमारे आस पास में ही रहते है जो वैसे लोगो को अपना शिकार  बनाते है जो कम पढ़े लिखे या कम जानते है इन मामले में। वैसे लोग भी दलाली करते है जिनको scheme का स्पेलिंग तक नही आता होगा। हमारे देश के बहुत लोग खुद से रोजगार उत्पन करने के अलावा दुसरो को थक के अपना गुजारा करने के शौकीन है।मेरे भाई ऐसे कब तक अपने ही देश के लोगो को ठको गे।

अब भाइयो जिसके हाथ मे देश का power है वो कुछ नही उखाड़ रहा है तो ये आम जनता कितना कर लेगी ।

 असली मुद्दा से आप सभी को कोई भी आकर भटका देता है : हिन्दू मुसलिम कर के। पिछले 1 साल से हमारे देश में अमित शाह यही कर रहे थे {CAA और NRC }. अपने देश मे रहकर पिछले 1 साल से अपना समय दूसरे देश के लोगो की समस्या सुलझाने में बिता दिए। 

अगर इतना समय हमारे देश मे असली बीमारी जो है उसका हल निकालने में जो देते तो आज देश एक कोरोना वायरस को लेकर इतना परेशान नही होता। कोरोना वायरस आने के सुरु में ही देश के लोगो से चंद ले लिया इस नाम पर।


सरकार को थोड़ा भी यहां शर्म आनी चाहिए थी किस मुह से हम चंदा मांग रहे है कोरोना के नाम पे।
आज एक तरफ कई लोग social distancing का पालन कर रहे है वो चाहते है कि वायरस जल्दी खत्म जो जाए। ऐसे लोग अपने तरफ से 100% प्रयाश कर रहे है कोरोना से पचने के लिए  अपना business बंद कर के बैठे है।


वही दूसरी तरफ चंद पैसो के लिए सरकार शराब का ठीका खोल रही है ।पूछता है भारत अब कहा गया आपका social distancing का concept।


स्टार्टिंग में जब कोरोना केस कम था तब तो पुलिस बहुत लाठी चार्ज कर रही थी आम जनता पर अब क्या हुआ जब देश में कोरोना केस 1 लाख पहुँचने को है।


दोस्तो मुझे लगता है जब  शक्ति बरतने का उतना समय नही था तब हम लोग बहुत सेफ्टी बरत लिए लेकिन  अब जब जरूरत है सोशल डाटान्सिनग follow करने का तो देश मे ट्रैन खुल गया ।
Business सुरु हो गया  , मार्केटिंग कर सकते है अब ऐसा कांसेप्ट आ गया।


इंडिया में कोरोना का केस 1 लाख पहुचने पर है , 4th स्टेज आने को है और यह सरकार लोगो को लोन देने में लगी है। 
लगभग 90% लोगू को सिर्फ सरकार के नए स्कीमें का न्यूज़  से मतलब होता है । oooooo  मोदी सरकार  लोन भी दे रही है फ्री में वाह लेकिन असलियत कुछ और मालूम चलता है ।बैंक जाने के बाद वहां टर्म्स एंड कंडीशन बिस्तार से बताया जाता है।


एक तरफ देश मे moon पे जाने की बात करते है तो वही दूसरी तरफ  आज भी बैलगाड़ी बैल के जगह आदमी खुद चला रहा है।
एक तरफ देश मे हर जगह मेट्रो की बात हो रही है तो दूसरे और आदमी दिल्ली से बिहार पैदल ही सफर कर रहे है। जो लोग अपने देश मे वोट नही देते है वो पहले आकर अपने भारत देश मे सुरक्षित हो गये और जो असली में वोट देते है वो आज पैदल ही इस गर्मी में सफर कर रहे है।




एक तरीके से देखा जाए तो सही ही हो रहा है अपना वोट 100-500 में बेचने का क्या मज़ा  आता है वो अब वैसे लोगो को पता चल रहा होगा।
बात करते थे परमाणु की और यहाँ बीमारियों से लड़ने की औकाद नही।


यहां नाम नही काम बोलता है।
Jai हिन्द।


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